वृक्ष और पेड़ पौधे किसे पसंद नहीं । जब भी हम अपने सीमेंट से बने शहरों से बहार निकल कर प्रकृति की गोद में आते है, तो एक तीव्र सी तरंग शरीर से हो गुजरती है और हम अच्छा महसूस है। जब भी हम हरियाली के आँचल में होते है, तो ऐसा लगता है की हम अपने असल घरौंदे में वापस आ गए है । यह ही हमारा अस्तित्व है और यहाँ पर ही हम पूर्ण महसूस करते है।
यह धरा सिर्फ मानवो की नहीं है। इसपर बाकि सारे जीव जंतु भी निर्भर है और यह संतुलन बना रहना ज़रूरी है ताकि सभी का अस्तित्व रहे। हम सब एक दूसरे पर निर्भर है और जितना जल्दी हम इस बात को समझ ले उतना अच्छा ।
हाल ही मुझे इस प्रकृति को संतुलित रखने में योगदान देने का अवसर मिला । भारत तिब्बत सीमा पोलिस (ITBP ) की वाहिनियों में हम विभिन्न दिवसों का आयोजन करते है जिससे की जवानो का मनोबल बना रहता है और उन्हें ज्ञान का प्रदान भी होता है । इसी सन्दर्भ में हमने मानसून दिवस पर वृक्षारोपण करने का फैसला लिया । कई तरह के पौधे लाये गए और वाहिनी के सभी जवानो द्वारा उन्हें लगाया गया ।
Himveers planting trees |
आज जब मैं उन पेड़ो को देखता हूँ तो अत्यन्त प्रसनता होती है । उनकी फ़िक्र भी होती है । कही वो सुख तो नहीं रहे है ? क्या उनको पूरा पोषण मिल रहा है ? जैसे की वह हमारी अपनी संतान हो। और जब गहरायी से इस बात को सोचेंगे तो पाएंगे की यह सौ आने सच है । वो हमारी संतान है और हम उनकी । अन्त में मेरी आपसे यही विनती है की जब भी अवसर मिले तो पेड़ लगाये और अपना फ़र्ज़ निभाए । और जब कई सालो के पश्चात आप उन्हें एक छायादार या फलदार वृक्ष के रूप में देखेंगे, तो आपकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं होगा ।