Wednesday, August 27, 2014

[Book Review] The Fault in our Stars * *

Book : The Fault in our stars
Author : John Green
My Rating: * * (2/5)

I do not know if the oh so conspicuous NY bestseller thingy had something to do with the weird sense of reading a very mediocre novel that i felt post reading. Plus, recently the adopted screenplay came in the form of a movie and that ultimately motivated me to pick this up from the stands. Generally I do not go with this genre as I always feel that I have already read so many of these prototypes and it would be only sheer good luck to find something new from it. But then why people are going so crazy over a possible "A Walk to Remember" rip off? I was sure it was not more than that. Oh hell, let's find out, I thought.

So, this one is about a girl Hazel Grace who is a cancer survivor and still needs to be looked after by her super-caring mother and moves around dragging oxygen cylinders in a cart. She is the one narrating and probably her style, wit and weirdness are the highs of the novel. In one of her Support Group sessions she meets this blue-eyed boy "Gus" and starts liking him as basically he is just too hot. Not charismatic or anything, but just hot. He is also a survivor and has long one of his legs in the process but apparently is NEC (No evidence of cancer) for several months. Going forward, ahh..whats the damn point. We know this shit right. We remember this familiar walk of life, don't we?

Yes Yes, they fall in love. Both want to avoid each other so as to bear them the pain of separation as both are very fragile and the cancer can relapse anytime. But then love is not something you can manage and make it dance on your whims and fancies. It has it's own destiny. And in time we do realize that these smallest of moments spent with those we love stay forever, even if we don't, even if they don't. And we are ready at any point of time to trade a long luxurious lunatic life with this ephemeral love affair. Oh yes, we can live with the memories all right.  But dear Mr. Green, this is not something new dude, we know this. Perhaps even the people of Mesopotamia knew this shit.

The author introduces the a new angle of this elusive author and his one-time hit book to possibly bring something novel. It sounds interesting at the first place and then you expect that this has something to do with this story. You start to imagine all the interpolations possible but end up really disappointed. Yes Yes, there is some wit scattered here and there but it's not much. Not enough to impress or anything. Plus, there are certain sections in the novel which are just flow-breakers. The description of two people playing a video-game would hardly interest even an all time gamer when he is trying to read a book staying away from gaming. Ahh, ironies of life.

The characters are also kind off weird and not the kind people would fall for. Very mediocre sorts of writing I would say. Overrated to be precise. The style has no unique feature or signature about it. Just another novel with a "bestseller" tag. Probably a result of good marketing. Surely not good writing.

At the end, after reading this, it feels that there was some fault in my stars that i picked it up!


Thursday, August 7, 2014

CSAT क्यों ज़रूरी है ?

यह जीवन कई चक्रों से भरा हुआ है | एक छोर से शुरुवात होती है और दुसरे पर उसका अंत और अगर अंत तक हमे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं होती तो हम फिर से उसी चक्र में वापिस सम्मिलित हो जाते है | एक बार फिर हम निकल पड़ते है उसी राह पर एक नए विश्वास से, एक नए हौसले के साथ |

UPSC की सिविल सर्विस परीक्षा भी कुछ लोगो के लिए जीवन के इन चक्रों के सामान है और यह सबसे मुश्किल और थका देने वाले चक्रों में से एक है | एक कड़ा इन्तेहाँ है यह सब्र का, धैर्य का और कर्म निष्ठता का | हर वर्ष के तरह इस बार भी विद्यार्थी जोर शोर से अपनी अपनी तैयारियों में लगे हुए है | पर इस बार UPSC के समक्ष कई सवाल रखे गए है | वर्ष २०११ में लायी गयी CSAT परीक्षा से काफी लोग असंतुष्ट है और उनकी ये मांग है के इसे निरस्त किया जाए | इन्ही सब के चलते एक असमंजस सा है की यह परीक्षा समय पर होगी की नहीं और ऐसे में भला कोई मन लगा के पढ़े तो कैसे, बताइए ज़रा!

वर्ष २०११ के पहले जब CSAT नहीं था तब ये देखा गया था के सिविल सर्विस में चयनित हुए विद्यार्थी, जो अपना प्रशिक्षण कर रहे थे, उनमे से कई लोगो को अंग्रेजी भाषा और डाटा व्याख्या में परेशानियां हो रही थी | और इसी के चलते CSAT परीक्षा के कल्पना की गयी थी | इसे और अच्छे से समझने के लिए हमे एक सरकारी अफसर के कार्य को गहरायी से देखना होगा | सबसे पहले हम आते है भाशा के इस विवादस्पद पहलु की तरफ | देखिये इसमें तो कोई भी दो राय नहीं है की हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और इसे उच्च दर्जे का सम्मान मिलना ही चाहिए | परन्तु इस बात को भी आप झुटला नहीं सकते है की आज कल देशो की सरहदे सिर्फ कागजी है और हम एक दूसरे के सहयोग पर निर्भर है | आपसी ताल मेल के लिए हमे एक अंतर राष्ट्रीय भाषा की भी जरुरत है और अंग्रेजी भाषा इस सन्दर्भ में उचित प्रतीत होती है | जब आम लोगो के लिए ही यह दोनों भाषाए इनती ज़रूरी हो गयी है तो सोचिये की अगर हमारे अफसर इन्हें नहीं जानेंगे तो उनके कार्य पर बुरा असर तो ज़रूर ही पड़ेगा | तो यहाँ पर यह कहना उचित होगा की दोनों ही भाषाओ का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है |

अब हम आते है चल रहे विवाद के दुसरे पहलु पर, जो की गणित और डाटा व्याख्या के सवालो से सम्बंधित है | सवाल यह है की क्या यह योग्यता ज़रूरी है ? लगभग पिछले एक साल से मैं भारत तिब्बत सीमा बल में एक सहायक सेनानी के रूप में कार्यरत हूँ | अपने कार्य को करते हुए और दुसरे अफसरों के साथ कार्य कर मैं यह पुरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ की इस योग्यता का बड़ा ही महत्व होता है | एक अफसर का मुख्य कार्य फैसले लेने का होता है और इन फैसलों पर बहुत सारे लोगो का भविष्य निर्भर करता है | तो अगर एक अफसर में तथ्यों और हालातो को समझने और फिर सही निष्कर्ष निकालने की शमता नहीं होगी तो फिर यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं है | और कई वैज्ञानिक अध्यन इस बात की पुष्टि करते है की इस तरह के सवालों के द्वारा हम लोगो की इस योग्यता को परख सकते है |

एक और पहलु यह है की CSAT की परीक्षा में क्या अंग्रेजी भाषा को परखना जरुरी है ? सिविल सर्विस की मुख्य परीक्षा में पहले ही दो अनिवार्य पेपर है जो की हिंदी और अंग्रेजी से सम्बंधित है | तो फिर दो दो बार इसको लाना उचित नहीं है | CSAT परीक्षा को केवल आकांशी की डाटा व्याख्या योग्यता और फैसला लेने की शमता को ही आकना चाहिए | और रहा सवाल गद्यों पर आधारित प्रश्नों को तो फिर अंग्रेजी और हिंदी के सामान प्रश्न इसमें सम्मिलित किये जा सकते है | यह मेरी स्वयं की सोच है और दूसरो को पूरा अधिकार है की वो अपने अलग विचार रखे और प्रस्तुत करे |

रही बात दूसरी भाषाओ की, तो सबसे पहले मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की सभी भाषाओ का अपना महत्व है और भारत की विविधता इसी बात से है की यहाँ विभिन्न भाषाए और संस्कृतियाँ है | राज्य स्तर पर इन भाषाओ के संरक्षण के सारे प्रयास किये जाने चाहिए | परन्तु यह समझना भी ज़रूरी है की हमारी राष्ट्रीय भाषा भी उतनी ही ज़रूरी है और सभी नागरिको को हिंदी को प्रयोग आना चाहिए | और जहा तक प्रश्न पत्र को सभी भाषाओ में छापने का सवाल है तो ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे जो इसकी मांग करेंगे क्यूंकि हिंदी या अंग्रेजी में उनके एक भाषा तो आती ही होगी | एक अफसर से इनती मूल अपेक्षा तो की ही जा सकती है | कुछ लोग यह तर्क देते है की उन्हें बाद में यह सब सिखाया जा सकता है | परन्तु अगर सब बाद में ही सिखाना है तो परीक्षा लेने का क्या तर्क है | सीधी सा उदहारण है की बच्चा दूसरी कक्षा में तो तभी जायेगा ना जब वो पहली कक्षा उत्तीर्ण करेगा | इसी तरह अफसरशाही में आने की भी कुछ मूल जरूरते है जो की इस परीक्षा द्वारा जाँची जाती है और अतः ये पूरी तरह से सही है |


प्रदर्शन कर रहे लोगो को पूरा अधिकार है अपना मत रखने का | पर अगर भविष्य के अफसर हिंसा का उपयोग कर रहे हैं तो यह बिलकुल भी अच्छा लक्षण नहीं है | अगर ऐसे लोगो के हाथ में हमारे देश का भविष्य है, तो भारत को क्या होगा, यह सोच कर ही डर लगता है | मोदी सरकार से यही आशा करता हूँ की कोई भी फैसला जल्दबाजी में राजनितिक कारणों से न लिया जाए | सभी पक्षों को सुनकर और तेज गति से बदतले विश्व को ध्यान में रखकर, सही फैसला लिया जाये | हिंदी के सही अनुवाद हेतु UPSC कोई विशेषज्ञ रख सकता है जिससे की एक समस्या का तो समाधान हो जायेगा | अंग्रेजी के केवल आठ सवाल अनिवार्य है जो की इतने सरल होते है की कोई दसवी का बच्चा भी आसानी से कर ले | मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है की लोगो को परेशानी अंग्रेजी से नहीं बल्कि गणित के सवालों से है | परन्तु इस बात पे तो प्रदर्शन नहीं किया जा सकता ना की प्रश्न बड़े कठिन है और अतः यहाँ अंग्रेजी की आड़ ली जा रही है | मेरी राय में तो किसी भी बदलाव की ज़रुरत नहीं है | पर मुझे विश्वास है की हमारी सरकार सभी पहलुओ के मधेनज़र सही फैसला लेगी |